उत्तराखंड लोक सभा चुनाव की तैयारी चल रही हैं। लेकिन अभी प्रदेश के 102 नगर निकायों के चुनाव अभी और टल सकते हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव आचार संहिता के कारण निकाय चुनाव की प्रक्रिया लटकी हुई है। क्योंकि एक आचार संहिता के बाद दूसरी लागू होने में भी तकनीकी पेच लड़ रहा है। वहीं ओबीसी आरक्षण अधर में लटका हुआ है।
बता दे कि पिछले साल दो दिसंबर 2023 से सभी निकायों में प्रशासक तैनात कर दिए गए थे। वही इसके बाद हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सरकार ने दो जून से पहले निकाय चुनाव कराने का वादा किया है। लेकिन अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से इसकी पूरी प्रक्रिया अटक गई है। इसी के चलते सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया अटक गई।
जानकारी के अनुसार इसके लिए कैबिनेट से एक्ट में बदलाव होगा, क्योंकि अभी ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण का नियम हैं, लेकिन सर्वे रिपोर्ट के बाद यह कहीं पर 30 तक हो गया है तो कहीं इससे नीचे चला गया है। हालांकि जब तक एक्ट में बदलाव नहीं होगा तब तक यह आरक्षण लागू नहीं होगा। और इस आरक्षण के बिना चुनाव नहीं होंगे। वहीं लोकसभा चुनाव की आचार संहिता छह जून तक लागू रहेगी।
जानकारी के मुताबिक शहरी विकास विभाग ने चुनाव आयोग को इस संबंध में एक पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि चूंकि दो जून से पहले निकायों में नए बोर्ड का गठन होना है, इसलिए इसी दौरान चुनाव कराने होंगे। लेकिन चुनाव आयोग ने एक आचार संहिता के बीच दूसरी आचार संहिता लगाने को लेकर इन्कार कर दिया है। जिसे देखते हुए अब दो जून से पहले निकाय चुनाव होने मुश्किल हैं।
वहीं अगर दो जून तक निकायों में चुनाव नही हुए और नए बोर्ड गठित नहीं हुए तो पहले तो हाईकोर्ट में सरकार को जवाब देना होगा। वहीं छह माह तक ही निकायों में प्रशासक तैनात करने का नियम है। इसे आगे बढ़ाने के लिए सरकार को एक्ट में बदलाव करना होगा।