राज्य के 15 हजार से ज्यादा संविदा कर्मियों के लिए अच्छी खबर सामने आ रही हैं। जिससे आउटसोर्स, दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक, तदर्थ, उपनल कर्मचारियों के लिए पक्की नौकरी की उम्मीद जग गई है। बता दे कि इसे लेकर हाईकोर्ट का आदेश आ चुका है। जिसमें अब शासन स्तर पर नियमितीकरण की कवायद तेज हो गई है। यानी अब 2024 की कट ऑफ डेट मानते हुए 10 साल नियमित सेवा वालों को पदों की उपलब्धता के हिसाब से नियमित किया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दे कि प्रदेश में वर्ष 2013 से पूर्व तक संविदा, आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं था। जहाँ दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक तथा तदर्थ रूप में नियुक्त कार्मिकों का विनियमितीकरण नियमावली 2013 में आई थी, जिसमें कर्मचारियों के लगातार 10 साल की सेवा को आधार बनाकर नियमित करने का प्रावधान किया गया था।
लेकिन फिर यह नियमावली विवादों में आ गई और हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। वहीं फिर हरीश रावत सरकार में दोबारा इसकी कवायद शुरू की गई और 2017 में एक नियमितीकरण नियमावली लाई गई, जिसमें सेवाकाल 10 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया। लेकिन इसमें भी आपत्तियां हुईं और हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। जहाँ हाइकोर्ट में करीब सात साल से नियमितीकरण संबंधी सभी काम लटके हुए थे।
वहीं अब हाईकोर्ट ने नरेंद्र सिंह बिष्ट और चार अन्य विशेष अनुमति याचिकाओं की सुनवाई के बाद वर्ष 2013 की नियमितीकरण नियमावली पर मुहर लगा दी है। इसके बाद से शासन स्तर पर नियमित करने की कवायद शुरू हो गई है। जिसमें कार्मिक और वित्त विभाग नियमितीकरण के सभी पहलुओं को बारीकी से देख रहा है। वहीं राज्य के 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं।