अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड के मरचूला में सोमवार को एक बड़ा बस हादसा हुआ, जिसने लोगों का दिल दहला दिया। बता दे कि यात्रियों से पूरी भरी एक बस अचानक अनियंत्रित होकर करीब 150 फुट गहरी खाई में जा गिरी। वहीं इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई। जबकि रामनगर अस्पताल में 34 घायल लाए गए थे। उनमें से आठ की यहां मौत हो गई। जबकि छह घायलों को एयरलिफ्ट के जरिए ऋषिकेश एम्स भेजा गया, तो वहीं 11 को अन्य जगह रेफर किया गया है। अन्य नौ लोगों का रामनगर अस्पताल में उपचार चल रहा हैं।
जानकारी के अनुसार, पौड़ी गढ़वाल के किनाथ से सोमवार सुबह करीब साढ़े छह बजे यूजर्स की बस संख्या (यूके 12 पीए 0061) रामनगर के निकली। वहीं त्योहार के लिए आए लोगों को काम पर वापस जाने की वजह से जल्दी थी। इसके चलते बस आगे बढ़ते बढ़ते ओवरलोड हो गई। इसी दौरान जब बस करीब सात बजे मरचूला के कूपी बैंड के पास पहुंची तो तीव्र मोड़ आने पर चालक ने वाहन को मोड़ने का प्रयास किया। लेकिन यह अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरा। जैसे ही बस खाई में गिरी तो चीखपुकार मच गई और इनकी आवाज सुनकर सबसे पहले कूपी गांव और आसपास के क्षेत्र के कुछ युवा मौके पर पहुंचे। सबने मिलकर घायलों को बाहर निकालना शुरू किया।
वहीं, इस हादसे में बस के अंदर कई लोग दबे थे। गाँव वालों ने किसी तरह कुछ घायलों को निकालकर निजी वाहनों से देवायल और रामनगर के अस्पताल भेजा। इसके बाद हादसे की सूचना प्रशासन को दी। जहाँ सूचना मिलने के करीब एक घंटे बाद एसडीआरएफ और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य तेज गति से शुरू किया। इस दौरान मौके पर 28 लोगों के शव निकाले गए जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। बताया गया कि इस हादसे में मृतकों में बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं। जबकि गंभीर हालत में रामनगर भेजे गए लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर किया गया है।
बताया जा रहा है कि यह बस हादसा इतना भयाभय था कि लोगों की रूह कांप उठी। चारों तरफ बिखरे शव देख ग्रामीण लोगों, बचाव कार्य में लगे लोगों और अधिकारियों का दिल भी पसीच गया। जो लोग खुशी खुशी त्योहार मनाकर अपने घर से वापस अपने काम के लिए लौट रहे थे बीच सफर में उनके साथ यह हादसा हो गया, जिनमें कई जिंदगी तबाह हो गई। वहीं यह हादसा इतना भयंकर था कि बस को कटर से काटकर शवों को बाहर निकाला गया। हादसे के बाद बचाव कार्य में जुटे नीरज सिंह ने बताया कि इस दौरान कई लोग तो शवों को देखते ही बेहोश हो गए, जिन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला गया। किसी से भी घायलों और बस के नीचे दबे लोगों की चीखें सुनी नहीं जा रही थीं। जहाँ एक तरफ कटर का इंतजार हो रहा था वहीं दूसरी तरफ बेबस होकर उनकी कराह सुनकर बस दिलासा ही दिया जा रहा था कि सभी को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि बस का चालक मानसिक तनाव में था। उसको पैसों के लिए बार बार फोन आ रहा था। वहीं इस वजह से तीव्र मोड़ पर कमानी छूटने से यह हादसा हुआ। इसके अलावा यह बस 42 सीटर थी जबकि इसमें 63 यात्री सवार थे। ओवरलोड की वजह से भी यह हादसा हुआ।
इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने मंडल आयुक्त दीपक रावत को इस बड़े बस हादसे को लेकर मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। जबकि पौड़ी के प्रभारी संभागीय परिवहन अधिकारी कुलवंत सिंह व रामनगर की क्षेत्रीय सहायक परिवहन अधिकारी नेहा झा को तत्काल प्रभाव निलंबित कर दिया गया। साथ ही सीएम धामी ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा भी की है।