प्रदेश में चारधाम यात्रा समाप्त हो गई है। जहाँ रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। शुभ मुहूर्त के अनुसार, रविवार रात 9 बजकर 7 मिनट पर कपाट पूरे विधि विधान के साथ बंद किए गए।
इस मौके पर लगभग 10 हजार श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ के दर्शन किए। वहीं कपाट बंद होने पर बदरीनाथ धाम जय बदरीविशाल के जयकारो से गूंज उठा। बता दे कि इस अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।
रविवार को दिनभर बदरीनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहा। जहाँ सुबह साढ़े चार बजे बदरीनाथ की अभिषेक पूजा हुई। इसके बाद बदरीनाथ का तुलसी और हिमालयी फूलों से श्रृंगार किया गया। फ़िर छह बजकर 45 मिनट पर बदरीनाथ की सायंकालीन पूजा की गई।
इसके उपरांत, शाम सात बजकर 45 मिनट पर बद्रीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेष धारण किया और लक्ष्मी माता को बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश कराया। साथ ही बदरीनाथ गर्भगृह में सभी देवताओं की पूजा अर्चना व आरती के बाद उद्धव जी व कुबेर जी की प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लाया गया।
वहीं, रात आठ बजकर 10 मिनट पर शयन आरती शुरू हुई। जिसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई। दूसरी तरफ रात सवा आठ बजे माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार घृत कंबल बदरीनाथ भगवान को ओढ़ाया गया और अखंड ज्योति जलाई गई। अंत में रात ठीक नौ बजकर सात मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
वहीं, अब रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठी और बदरीनाथ के हक-हकूकधारियों के साथ उद्धव व कुबेर की उत्सव डोली और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार सुबह पांडुकेश्वर के योग बदरी मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी।