राज्य बाल आयोग ने सोमवार को आजाद कॉलोनी में स्थित एक मदरसे में अचानक निरीक्षण किया। इस दौरान वहां के हालात अमानवीय और हैरान करने वाले दिखे। बताया जा रहा है कि 400 गज के इस चार मंजिला मदरसे में 250 छात्र ठूंसे गए थे। वहीं इस मदरसे का न ही पंजीकरण मिला। यही नहीं इस कम जगह में छात्रावास भी मिला, जिसमें बिहार के 60 बच्चे थे। जांच में पूरे भवन में दमघोंटू कमरे, 16 शौचालय और जगह-जगह गंदगी देखने मिली।
वहीं बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि निरीक्षण के दौरान जब उनकी टीम ने एक बंद कमरे को खुलवाया गया तो उसमें गद्दों का ढेर के बीच एक बच्चा बिना बिस्तर जमीन पर लेटा मिला। इस बच्चे को बहुत तेज बुखार था लेकिन इतने गद्दों के बाद भी उसे एक बिस्तर तक नहीं दिया गया था। जिसके बाद बच्चे को
उपचार के लिए दून अस्पताल भेजा गया।
इसके अलावा शिक्षा विभाग की जांच में इस मदरसे का पंजीकरण न तो मिला, न ही मदरसा बोर्ड और अल्पसंख्यक बोर्ड के पास उसकी कोई जानकारी दर्ज थी। वहीं डॉ. खन्ना ने कहा कि इस मदरसे में विषाक्त भोजन खाने से 30 बच्चों की तबीयत खराब होने की खबर सुबह अखबारों में प्रकाशित हुई थी।
जिसके बाद उन्होंने पुलिस टीम के साथ मदरसे का औचक निरीक्षण किया। लेकिन वहां पहुंचकर जो उन्होंने देखा उनकी टीम हैरान रह गई कि कैसे 400 गज के मदरसे में 250 बच्चों को रखा जा रहा था।
उन्होंने बताया कि इस मदरसे में न आग से बचाव के उपाय थे, न ही हवा आने-जाने का कोई जरिया। साथ ही बच्चे बेहद गंदे माहौल में रखे जा रहे थे। यही नही यह भवन मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण बनने से भी पहले का बना है।
निरीक्षण के बाद राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. खन्ना ने पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, डीएम, मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि देहरादून में जितने भी ऐसे मदरसे बिना पंजीकरण के चल रहे हैं, उनकी जांच और कार्रवाई की जाएं। वहीं आजाद कॉलोनी के जिस मदरसे में निरीक्षण किया गया, उसके सीसीटीवी कैमरों की पांच दिन की फुटेज को जब्त करके जांच में शामिल करें।