लोकतंत्र के महापर्व यानी लोक सभा चुनाव के पहले चरण में शुक्रवार को मतदान संपन्न हुए। इस दौरान जनता ने महंगाई, बेरोजगारी, सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत समस्याओं पर बात करने वाले मतदाता अचानक छुप हो गए। जहाँ लोगों ने सड़क कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध न कराने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी थी उसका भी असर मतदान पर दिखा। बता दे कि मतदान के दिन वोटर घर से नहीं निकला। यानी सब स्टार प्रचारक की मेहनत रंग नही लाई। वहीं कुमाऊं की दोनों ही संसदीय सीटों पर 2019 के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा है।
वहीं इसके अलावा प्रदेश के छह दिग्गज नेताओं तक के विधानसभा क्षेत्रों में मत फीसदी बढ़ने के बजाय और घट गया है। जहाँ मतदान के दिन हल्द्वानी शहर में कई जगहें सड़कें सुनसान थी। भाजपा और कांग्रेस ने कुमाऊँ सीट पर भी कोई कसर नहीं छोड़ी। यहाँ पर भाजपा से लेकर कांग्रेस तक की ओर से रैलियों से लेकर रोड शो तक किए गए।
उत्तराखण्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा , यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाएं हुई। जबकि कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी और सचिन पायलट को चुनावी प्रचार के लिए आए। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोनों ही सीटों पर अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन ये दिग्गज स्थानीय मतदाताओं में रोमांच नहीं भर पाए। बताया जा रहा हैं कि नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर तो डेढ़ दशक बाद इतना कम मतदान हुआ है। लोकतंत्र के महापर्व में लोगों में उत्साह की कमी दिखाई दी।