Haridwar: भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने की जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज से भेंट, मिले दो बड़े सुझाव

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय शुक्रवार को हरिद्वार पहुँचे। जहाँ उन्होंने जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज से कनखल आश्रम में भेंट कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। वहीं कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया कि भाजपा ने 400 पार का लक्ष्य रखा है। जिसे हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। वहीं मध्य प्रदेश में भाजपा ने 2019 में कुल 29 सीटों में 28 भाजपा जीती थी। इस बार वहां शत-प्रतिशत जीत मिलेगी।

वहीं आश्रम में कैलाश विजयवर्गीय ने पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने चुनाव में स्थानीय मुद्दों के हावी होने के प्रश्न पर कहा कि कभी-कभी चुनाव में नगर निगम के मुद्दे भी अहम होते हैं। जबकि राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने में भाजपा की विफलता के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार का वातावरण बन रहा है उससे भाजपा की लोकप्रियता और बढ़ी है। इस बार भाजपा केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।

वहीं दूसरी तरफ सूरत और इंदौर में निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ होने पर उन्होंने कहा कि सूरत में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इंदौर में कुछ निर्दलीय मैदान में उतर रहे हैं लेकिन वह भी भाजपा की जीत से पूरी तरह आश्वस्त हैं। साथ ही पश्चिम बंगाल में पहले से ज्यादा सीट मिलने का दावा भी किया। इसे लेकर उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में माहौल बदल रहा है। वहाँ की जनता परिवर्तन का मन बना चुकी है।

वहीं कैलाश विजय वर्गीय ने कहा कि देश के संत महापुरुषों से आशीर्वाद लेकर ही भाजपा चुनाव मैदान में उतरी है। जिसमें संतों से आह्वान किया जा रहा है कि देश में सामान्य और सुशासन का माहौल कायम रखने की अपनी परंपरागत प्रक्रिया को सतत जारी रखें।

वहीं इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को जगद्गरु शंकराचार्य ने दो बड़े सुझाव दे दिए। इस दौरान उन्होंने न केवल राजनेताओं को नसीहत दी, बल्कि धर्माचार्याें से भी धर्म को प्रोफेशन नहीं बनाने की अपील की। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ने कहा कि जिसने देश के लिए समाज के लिए समर्पण के लिए काम शुरू किया वही सनातन धर्म और राजनीतिक दायित्व में समाहित है। वहीं इनके काम से पुनरुत्थान के साथ-साथ अभ्युदय होगा। साथ ही कहा कि जो हिंदूवादी मानसिकता है उसमें मंदिरों को सजाने संवारने के कारण आर्थिक साधनों को प्राप्त करने की धर्माचार्यों की लालसा बढ़ गई है। वहीं सनातन धर्म हिंदू धर्म ऋषियों का धर्म है, विलासियों का नहीं है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस धर्म में ऋषि परंपरा के संवाहक मनीषी अन्वेषक कर्ण, पिप्लादि, दधीची, विश्वामित्र, वशिष्ठ की ऐसी परंपरा रही है जिसने समाज के लिए सर्व समर्पण की बात कही है। वह बोले कि मेरा देश के धर्माचार्याें से आग्रह है कि आध्यात्मिक क्रांति के लिए अपने अनुयायियों से आग्रह करें, कि धर्म को प्रोफेशन नहीं मिशन मानकर कार्य करें। इसके साथ ही कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि नेता राजनीति को प्रोफेशन मान रहे हैं। वहीं धर्माचार्य भी आध्यात्म को प्रोफेशन मानकर काम कर रहे हैं।

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