भारत में नेट परीक्षा साल में दो बार आयोजित होती है जोकि जून और दिसंबर में आयोजित की जाती है। वर्तमान में इस नेट की परीक्षा के अंकों का उपयोग जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) प्रदान करने और मास्टर डिग्री वाले लोगों के लिए सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति की पात्रता के लिए किया जाता है। इसी को लेकर अब एक नया अपडेट सामने आ रहा है I बताया जा एह है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सत्र 2024-25 से पीएचडी प्रवेश के लिए भी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) स्कोर का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं । यानि अब विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रवेश के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित नहीं करनी पड़ेंगी।
वहीं इसको लेकर यूजीसी के अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने परीक्षा के प्रावधानों की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था वही अब इस पैनल की सिफारिशों के आधार पर यूजीसी ने निर्णय लिया है कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 से पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए नेट स्कोर का उपयोग जाएगा । वहीं अब शैक्षणिक सत्र 2024-2025 से शुरू होने पर देश भर के विश्वविद्यालयों को पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए नेट स्कोर का उपयोग करने का अवसर मिलेगाI वहीं इसके बाद व्यक्तिगत विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में , आयोजित होने वाली अलग-अलग प्रवेश परीक्षाओं की आवश्यकता खत्म हो जाएगी I
इसे लेकर यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा, कि “साल में दो बार आयोजित होने वाले नेट का लाभ उठाकर, विश्वविद्यालय छात्रों को अधिक सहूलियत दे सकते हैं, जिससे वे विभिन्न संस्थानों में पीएचडी कार्यक्रमों के लिए आवेदन करने के लिए किसी भी सत्र से अपने स्कोर का उपयोग कर सकते हैं।” जगदीश कुमार ने बताया कि यह पहल छात्रों को कई तरह से लाभ पहुंचाएगी। इससे छात्रों को विभिन्न विश्वविद्यालयों की कई प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने से राहत मिलेगी साथ ही इससे परीक्षा प्रबंधन और खर्चों का बोझ भी कम होगा।
जगदीश कुमार ने कहा, “हम सभी विश्वविद्यालयों को 2024-2025 शैक्षणिक सत्र से शुरू होने वाले पीएचडी प्रवेश के लिए नेट परीक्षा स्कोर अपनाने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करते हैं। वहीं यूजीसी ने आधिकारिक अधिसूचना में कहा कि जून 2024 से, नेट उम्मीदवारों को तीन श्रेणियों में पात्र घोषित किया जाएगा। जिसमें जेआरएफ के साथ पीएचडी में प्रवेश और सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और जेआरएफ के बिना पीएचडी में प्रवेश और सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति होगी। हालाँकि इसका उपयोग पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश, जेआरएफ पुरस्कार या सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए नहीं होगी।