SDSVU: श्री देव सुमन विवि पर उठे ये सवाल, फर्जी दाखिलों का हैं मामला, जाने पूरी खबर…

प्रदेश के श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के ऊपर कई सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि विवि ने पहले तो एक बीएड कॉलेज में फर्जी दाखिले पकड़े, फिर परीक्षा निरस्त की। लेकिन अब तीन महीने बाद दोबारा प्रवेश परीक्षा से उन्हीं दाखिलों का वैध करा दिया। इस पूरे प्रकरण से विवि सवालों के घेरे में फंसा हुआ है।

जानकारी के अनुसार यह मामला है रुड़की के आरसीपी कॉलेज से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि कॉलेज में बीएड दाखिलों के लिए विवि ने 12 जनवरी को प्रवेश परीक्षा कराई थी। जिसमें ये परीक्षा विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. वीपी श्रीवास्तव और डॉ. प्रतीक्षा जुयाल के पर्यवेक्षण में हुई। विवि द्वारा हुई इस परीक्षा के आधार पर आरसीपी कॉलेज ने दाखिले किए। लेकिन जब इन दाखिलों की सूची विवि को पहुंची तो सब हैरान रह गए।

क्योंकि इसमें जिन छात्रों ने प्रवेश परीक्षा दी थी, उनके बजाए दाखिलों की सूची में दूसरे छात्रों के नाम शामिल हैं। जिसे देखते हुए विवि ने इस प्रवेश परीक्षा का रद्द कर दिया। जिसके बाद कॉलेज में हड़कंप मच गया। वहीं इस मामले को लेकर विवि कुलपति के निर्देश पर एक कमेटी का गठन किया गया और कॉलेज को दोबारा प्रवेश परीक्षा की अनुमति दे दी गई।

वहीं इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने 13 अप्रैल को प्रवेश परीक्षा कराई। साथ ही कॉलेज ने प्रवेश परीक्षा के लिए जो नोटिस जारी किया, उसमें स्पष्ट लिखा कि बीएड प्रथम वर्ष सत्र 2023-25 के सभी छात्रों को इस प्रवेश परीक्षा में शामिल होना है। यानी जो दाखिले गलत तरीके से किए गए थे, उन सभी को विवि ने प्रवेश परीक्षा की अनुमति दे दी गई और वैध करा दिया गया। इसके बाद से ही विवि सवालों के घेरे में आ गई है।

वहीं दूसरी तरफ विवि कुलसचिव केआर भट्ट ने इससे अनभिज्ञता जताई है। जबकि अब सवाल ये भी उठ रहा कि जिस कॉलेज ने दाखिलों का फर्जीवाड़ा किया, उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। ये भी सवाल उठ रहे हैं कि बिना प्रवेश परीक्षा दाखिल छात्रों को किस आधार पर प्रवेश के काबिल माना गया है।

वहीं आपको बता दे कि करीब चार सप्ताह पहले आरसीपी कॉलेज में छात्रों ने धरना-प्रदर्शन किया था। इस दौरान कई बीफार्मा के छात्रों ने कॉलेज प्रबंधन पर आरोप लगाया था कि उनसे बीएड की प्रवेश परीक्षा जबरन दिलवाई गई है। लेकिन इन आरोपों पर भी विवि ने जांच या कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा।

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