उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू (यूसीसी) होने वाला है। वहीं इसके लागू होने के बाद आम लोगों के उत्तराधिकार से जुड़ा एक बड़ा बदलाव भी होगा। बता दे कि यूसीसी के तहत संतान की मृत्यु होने पर माता-पिता भी उसकी चल-अचल संपत्ति में हिस्सा मिलेगा। वहीं अभी जो उत्तराधिकार कानून है, उसके तहत पति की मृत्यु के बाद बैंक-बैलेंस, संपत्ति का सारा हिस्सा पत्नी को ही मिलता है। जिस वजह से माता-पिता बेसहारा रह जाते हैं। लेकिन अब यूसीसी आने से ये नियम बदल जाएगा।
जानकारी के अनुसार, यूसीसी की नियमावली का ड्राफ्ट शुक्रवार को अंग्रेजी भाषा में सरकार को सौंपा गया है। वहीं इसका अनुवाद कराने के साथ ही विधि और न्याय विभाग के समक्ष तकनीकी समीक्षा के लिए भेजा जाएगा। फिर इसके बाद, सरकार मंत्रिमंडल की बैठक कर उसे प्रभावी तौर पर लागू करने की तैयारियाँ करेगी और तिथि की घोषणा भी करेगी।
बताया जा रहा है कि यह ड्राफ्ट दो वॉल्यूम और चार हिस्सों में बना हुआ है। जिसमें एक वॉल्यूम में 200 और दूसरे में 410 पन्ने हैं। जिनमें विवाह और विवाह विच्छेद, लिव इन रिलेशनशिप, जन्म और मृत्यु पंजीकरण तथा उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी प्रक्रियाओं का वर्णन किया गया है।
वहीं, ये नियमावली ही स्पष्ट करेगी कि यदि विवाह, विवाह विच्छेद, लिव इन रिलेशनशिप, जन्म-मृत्यु का पंजीकरण नहीं करवाया गया तो ऐसे में क्या कार्रवाई हो सकती है। साथ ही उसकी प्रक्रिया क्या होगी, कितनी सजा हो सकती है। यूसीसी लागू होने के बाद उन सभी पति-पत्नी को विवाह का पंजीकरण कराने के लिए छह माह का समय दिया जाएगा, यह समय उनको दिया जाएगा जिन्होंने कानून लागू होने से पहले शादी की। जबकि छह महीने बीतने के बाद उन जोड़ों को तीन महीने का समय मिलेगा जिन्होंने यूसीसी लागू होने के बाद शादी की।