प्रदेश में हाईकोर्ट को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही हैं। जहाँ प्रस्तावित हाईकोर्ट अब हल्द्वानी स्थित गौलापार में 20.08 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा। बताया जा रहा है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद शासन ने वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव नए सिरे से भेजने का फैसला लिया है। वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए नियुक्त नोडल अफसर सचिव लोनिवि पंकज कुमार पांडेय ने मंत्रालय की सभी आपत्तियों का निपटारा करते हुए 10 मई तक भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव को परिवेश पोर्टल में अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।
जहाँ उत्तराखंड के स्थापना पर वर्ष 2000 में उच्च न्यायालय की स्थापना नैनीताल की गई थी। वहीं कोर्ट के विस्तार, अधिवक्ताओं की बढ़ती संख्या और पर्यटन स्थल पर लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए हाईकोर्ट को शिफ्ट करने पर विचार चल रहा था। वहीं हाईकोर्ट को शिफ्ट करने के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने गौलापार में 26.08 हेक्टेयर वन भूमि चिह्नित की थी। इसके बाद इस भूमि पर काॅन्सेप्ट ले-आउट प्लान बना कर भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया। हालांकि इस पर मंत्रालय की क्षेत्रीय अधिकार प्राप्त समिति (आरईसी) ने आपत्तियां लगा दीं। जिस कारण पूरे प्रोजेक्ट पर ही संशय बना हुआ था।
वहीं फिर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक बैठक की गई। इस बैठक में लोनिवि ने बताया कि प्रोजेक्ट के संबंध में डिजिटल मैपिंग, जियो रिफरेंस मैप, परियोजना के मूल्य की गणना( एनपीवी) और क्षतिपूर्ति पौधरोपण के संबंध में कार्रवाई शुरू हो गई है। वहीं फिर सचिव लोनिवि की अध्यक्षता में पिछले दिनों एक अहम बैठक आयोजित हुई। जिसमें यह तय हुआ कि पूर्व में चयनित भूमि 26.08 हेक्टेयर के स्थान पर अब 20.08 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू होगी। जिसका शासनादेश न्याय विभाग जारी करेगा।
वहीं इस बैठक के दौरान सचिव लोनिवि ने प्रमुख अभियंता को निर्देश दिए कि यह प्रस्ताव अत्यंत महत्वपूर्ण और सर्वोच्च प्राथमिकता का है, इसलिए इस सम्बन्ध में समयबद्धता के साथ काम किया जाए। साथ ही जिलाधिकारी नैनीताल व अन्य संबंधित अधिकारियों को समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए हैं।