उत्तराखंड में शिक्षकों के लिए नई व्यवस्था लागू होने वाली है। जिसके बारे में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विधानसभा में बताया कि, अब जो भी शिक्षक नियुक्त होंगे उन्हें पांच साल तक दुर्गम में अनिवार्य रूप सेवा देनी होगी। वहीं अब पहले की सुगम से दुर्गम के स्थानांतरण फिर दुर्गम से सुगम के स्थानांतरण की व्यवस्था को लेकर विचार किया जा रहा है।
वहीं काउंसलिंग से छह हजार शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया है। जिसको लेकर दावा किया गया कि 10 सितंबर तक प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी। विधानसभा में डॉ धन सिंह रावत ने विपक्ष के नियम-58 के तहत शिक्षा व्यवस्था पर उठाए गए सवालों का जवाब दिया।
विस सत्र के दौरान कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक हरीश धामी, मनोज तिवारी, फुरकान अहमद, खुशहाल सिंह अधिकारी, गोपाल सिंह राणा, अनुपमा रावत, लखपत सिंह बुटोला और विक्रम सिंह नेगी ने राज्य में बदहाल शिक्षा व्यवस्था का आरोप लगाएं।
आरोप लगाते हुए उन्होंने विद्यालयों में प्राचार्यों, शिक्षकों की कमी, फर्नीचर, जीर्णशीर्ण विद्यालय भवन और बहादुरपुर जट में राजकीय डिग्री कालेज न खोलने के मुद्दों पर सरकार का घेराव किया। इन सवालों पर शिक्षा मंत्री ने आंकड़ों से जवाब दिया। उन्होंने कहा, राज्य में 12,516 प्रवक्ता के पद हैं। इसमें 8,621 प्रवक्ता पर सरकारी सेवा वाले कर्मी हैं।
जिनमें से खाली 3,895 के पदों पर 3,019 गेस्ट टीचर काम कर रहे हैं। वहीं 749 अतिथि शिक्षकों को तैनात किया जा रहा है। जबकि 613 लेक्चर का अधियाचन लोक सेवा आयोग को भेजा गया है। दूसरी तरफ प्राचार्यों के खाली पदों को भरने को लेकर भी कार्य हो रहा है। 692 प्राचार्यों के पद भरने के लिए भी अधियाचन भेजा है। शिक्षा मंत्री ने कहा बेसिक शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भी काम हो रहा है। 476 चयनित शिक्षकों को नियुक्तिपत्र सौंपा भी जा चुका है। विद्यालयों में फर्नीचर कमी है, उसे भी दूर किया जाएगा।
इसके अलावा धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में 225 विद्यालयों में बिजली कनेक्शन और शौचालय नहीं हैं। वहीं अगले साल तक इन सभी विद्यालयों में बिजली पहुंचा दी जाएगी। करीब 500 विद्यालय जीर्णशीर्ण हैं, इन्हें भी दुरुस्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बहादुरपुर जट में डिग्री कालेज खोलने के लिए कार्रवाई भी चल रही है। जिसके लिए पहले भवन बनाने के साथ संसाधनों को जुटाया जाएगा, इसके बाद कालेज खोला जाएगा। वहीं जहाँ पहले अतिथि शिक्षकों को 15 हजार वेतन दिया जाता था, अब 25 हजार रुपये कर दिया गया है।