उत्तराखंड के 105 नगर निकायों की जमीन व दुकान की लीज के लिए अब शासन की अनुमति लेना जरूरी होगा। इस सबंध में सचिव शहरी विकास नितेश झा ने निकायों को आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के बाद अब लीज का नवीनीकरण भी शासन की अनुमति से ही होगा।
वहीं सचिव शहरी विकास नितेश झा ने बताया कि, यह संज्ञान में आया है कि कई नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत अपने स्वामित्व की जमीनों, भवन आदि को किराए और लीज पर बाजार दर से कम दरों पर आवंटित कर रहे हैं।
जबकि, लीज की ऐसी संपत्तियां जिनका नवीनीकरण पूरा हो चुका है, उन्हें भी बिना शासन के पूर्व अनुमोदन निकाय के स्तर से बाजार दरों से कम दरों पर नवीनीकरण किया जा रहा है। जिसके कारण नगर निकायों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान हो रहा है।
प्रस्तावों को बिना शासन के अनुमोदन के नही किया जाएगा मंजूर
सचिव शहरी विकास का कहना है कि निकायों को गंभीरता अपनाते हुए सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने 30 अप्रैल 2010 के शासनादेश को याद दिलाते हुए स्पष्ट किया है कि निकायों की ओर से लीज नवीनीकरण से संबंधित प्रस्तावों पर शासन के अनुमोदन के बिना मंजूर नहीं किया जाएगा।
गौरतलब, निकायों के स्वामित्व या प्रबंधन की संपत्ति जैसे भूमि, व्यावसायिक भूमि आदि को किराए या लीज पर प्रचलित बाजार मूल्य से न्यून दरों पर आवंटित नहीं किया जाएगा। जबकि इसे बाजार मूल्य या उससे अधिक दरों पर आवंटित किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, देहरादून समेत कई नगर निकाय ऐसे भी हैं, जिनकी करोड़ों की संपत्तियां कुछ ही रुपयों में किराये पर दी गई हैं। जबकि इनमें से कई संपत्तियां तो निकायों के प्रभावशाली लोगों ने अपने पहचान वालों को बहुत ही कम दामों पर लीज पर दी हुई हैं। लेकिन सरकार की सख्ती के बाद अब इस दिशा में कुछ सुधार होने की उम्मीद की जा रही हैं।